हरदोई नाम पडा है हरि-द्रोही से - अर्थात जो भगवान से द्रोह करता हो। कहते हैं कि हिर्ण्याकश्यप ने अपने नगर का नाम हरि-द्रोही रखवा दिया था। उसके पुत्र ने विद्रोह किया। पुत्र को दण्ड देने के लिये बहिन होलिका अपने भतीजे को ले कर अग्नि में प्रवेश कर गयी। अपवाद घटा। प्रह्लाद का बाल भी बाँका ना हुआ और होलिका जल मरी। कहा जाता है कि जिस कुण्ड में होलिका जली थी, वो आज भी श्रवणदेवी नामक स्थल पर हरदोई में स्थित है। जिसे प्रह्लाद कुण्ड कहते है।
पौराणिक कथा
नारद पुराण के अनुसार दैत्य राज हिरणकश्यप को यह घमंड था कि उससे सर्वश्रेष्ठ दुनिया में कोई नहीं, अतः लोगों को ईश्वर की पूजा करने की बजाय उसकी पूजा करनी चाहिए। पर उसका बेटा प्रहलाद जो कि विष्णु भक्त था, ने हिरणकश्यप की इच्छा के विरूद्ध ईश्वर की पूजा जारी रखी।
हिरणकश्यप ने प्रहलाद को प्रताड़ित करने हेतु कभी उसे ऊँचे पहाड़ों से गिरवा दिया, कभी जंगली जानवरों से भरे वन में अकेला छोड़ दिया पर प्रहलाद की ईश्वरीय आस्था टस से मस न हुयी और हर बार वह ईश्वर की कृपा से सुरक्षित बच निकला। अंततः हिरणकश्यप ने अपनी बहन होलिका जिसके पास एक जादुई चुनरी थी, जिसे ओढ़ने के बाद अग्नि में भस्म न होने का वरदान प्राप्त था, की गोद में प्रहलाद को चिता में बिठा दिया ताकि प्रहलाद भस्म हो जाय। पर होनी को कुछ और ही मंजूर था, ईश्वरीय वरदान के गलत प्रयोग के चलते जादुई चुनरी ने उड़कर प्रहलाद को ढक लिया और होलिका जल कर राख हो गयी और प्रहलाद एक बार फिर ईश्वरीय कृपा से सकुशल बच निकला। दुष्ट होलिका की मृत्यु से प्रसन्न नगरवासियों ने उसकी राख को उड़ा-उड़ा कर खुशी का इजहार किया। मान्यता है कि आधुनिक होलिकादहन और उसके बाद अबीर-गुलाल को उड़ाकर खेले जाने वाली होली इसी पौराणिक घटना का स्मृति प्रतीक है।
अधिक मास अर्थात पुरुषोत्तम मास भगवान विष्णु ने मानव के पुण्य के लिए ही बनाया है। पुराणों में उल्लेख है कि जब हिरण कश्यप को वरदान मिला कि वह साल के बारह माह में कभी न मरे तो भगवान ने मलमास की रचना की। जिसके बाद ही नरसिंह अवतार लेकर भगवान ने उसका वध किया।
जिले का इतिहास महाभारत काल में-
कृष्ण के भाई बलराम ब्राह्मणों के साथ पवित्र स्थानों के दर्शन के लिए निकले, नैमिषारण्य (नीमसार ) की ओर जाते हुए, उन्होने देखा कि कुछ ऋषि पवित्र ग्रन्थों का पाठ सुनने में निमग्न हैं और उनका स्वागत -सत्कार उन्होंने नहीं किया तो बलराम ने क्रोध वश ऋषि के सिर को कुश नामक घास से काट दिया और फ़िर पश्चाताप से भ्र कर उस स्थान को बिल नाम्क दैत्य से छुट्कारा दिलाया
पौराणिक आख्यानों के बाद सबसे पहला ऐतिहासिक दस्तावेज मुस्लिम औपनिवेशीकरण का मिलता है--
सैय्यद सालार मसूद ने पहला आक्रमण सन १०२८ ईस्वी मे बावन पर किया शेख घोषणा करते हैं कि उन्होंने सन १०१३ में बिलग्राम को जीत लिया पर इम्पीरियल गजेटियर का मानना है कि १२१७ से पहले स्थाई मुस्लिम कब्जा नहीं हो पाया था .
सैय्य्द शाकिर ने सबसे पहली जीत गोपामऊ पर हासिल की इसौली पर सैय्यद सालेह ने विजय प्राप्त की किन्तु साण्डी और सण्डीला पर लम्बे समय तक जीत हासिल न कर पाए सण्डीला पासी साम्राज्य की राजधानी थी जो गोमती और सई नदियों के दोनों किनारों पर फ़ैला था और जिसका विस्तार लखीमपुर -खीरी के धौरहरा और मितौली तक था इस क्षेत्र के पासी राजपासी कहे जाते हैं १८८१ की जनगणना में हरदोई में पासियों की जनसंख्या ७२३२६ थी वर्ष १८८१ में इम्पीरियल गजेटियर आफ़ इण्डिया में बताया गया था कि पासी हरदोई में अभी भी बहुत शक्तिशाली हैं
श्रीमान जी हरिद्रोही से हरदोई नाम पड़ा इस जिले का जो कि तर्क के आधार पर उपयुक्त नहीं है। हरि यानी ईश्वर द्रोही अर्थात दुश्मनी। हरि से द्रोह रखने बाला सिर्फ हरदोई में हुआ ये गलत है।
ReplyDeleteमथुरा का राजा कंश भी हरि से द्रोह रखता था।
लंका का राजा भी हरि से द्रोह रखता था।
जालन्धर का राजा जिसके नाम से जालन्धर नगर बना वो भी हरि से द्रोह रखता था।
और सैकड़ों पर्याय मिल जाएंगे हरि से द्रोह करने बालों के। तो क्या उन सभी नगरों के नाम हरदोई हो गए नहीं न।
दरअसल हरदोई का नाम हरि यानी ईश्वर दोई यानी दो बार इस एकमात्र नगर में अवतार लेकर आये।
पहला नरसिंह अवतार और दूसरा हिरणाकश्यप के पौत्र बलि से भिक्षा में 3 पग भूमि मांगने आये बामन अवतार लेकर इस एकमात्र नगर में दो बार अवतार हुआ हरि का।
इसलिए इसका नाम हरि द्वई, से हरदोई हुआ।
जय बाबा सिध्दनाथ
Rohit Mishra ji ati uttam
DeleteAbe Tu itihas se jada janta he
DeleteTune to sabkuch apni aankho se dekha tha
Sala kam budhi
बावन अवतार लिया विष्णु भगवान ने बावन गॉव में ये भी पता होना चाहिए राजा वलि का आज भी स्थान है जहाँ पर उनका अवतार हुआ
DeleteMujhe lgta h tu jyada janta h
ReplyDeleteBhai to kya sabka naam hardoi rakh doge 10-15 hardoi bnana hai kya 1 hi hardoi bahut hai
ReplyDeleteKyon logon ko bewkoof bana rahe ho jisko bhgvan kahte ho wah rakshak the hardoi ka raja pasi veer tha ,you are undustaind .jay ho maharaj hirnakasyap ki jay ,,,,,,,,,,,,,,,,jay
ReplyDeleteSahi kaha bhai
DeleteJay hirna kasyap ji mahara ki jay
ReplyDeleteकमीने ब्राह्मणों ने महाराजा हिरण्यकश्यप की बहन होलिका का बलात्कार करके जला दिया था तभी से ये मनुवादी लोग शूद्रों को अपमानित करने के लिए होलिका त्योहार मनवाना प्रारंभ किया। जिसका पिछड़ों और दलितों को विरोध करना चाहिए। जय हिरण्यकश्यप माहराज की।
ReplyDeleteAapki baat me sachhai hai .. hai ho Raja ki
Deleteएक महिला के पुतले को चौराहे पर जलाना इसका विरोध होना चाहिए।
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