आजकल हरदोई में सबमर्सिबल का जोर है आप मोटर की दूकान पर जायें और पानी की समस्या के बारे में बात करें तो वो तुरंत आपको इसकी ही सलाह देगा क्योकि इसमें उसका लाभ है, स्थिति यह है बोरिंग करने वाले मिस्त्री मिल नहीं रहे हैं और एक बोरिंग पर 40 से 50 हजार का व्यय आ रहा है| पानी की आवश्यकता है तो ये भी आवश्यक है पर गरीब क्या करेगा जबकि ये समस्या अमीरों की पैदा की हुई है और इसके बाद कोई ये नहीं सोच रहा है कि सबमर्सिबल की नौबत क्यों आई और ये भी कहाँ तक चलने वाली है| जब साधारण हैण्ड पम्प थे कोई समस्या नहीं आई पर जबसे INDIA MARK-2 तथा साधारण मोटर का का प्रचलन हुआ पानी की बर्बादी होना प्रारम्भ हो गया और यह स्थिति आ गयी है, अब जब लोग सबमर्सिबल लगवा लेते हैं तो प्रेशर से वाहनों की धुलाई, फर्श की धुलाई और सुबह साढ़े नौ-दस बजे घर और दुकान के बाहर प्रेशर से ही कूड़े की सफाई और पानी का छिड़काव, इस बात से कोई मतलब नहीं कि कितना पानी बरबाद हो रहा है और धूप में तुरंत सूख जायेगा| व्यापारियों के नौकर भी नवाब हो रहे हैं दूकान के बाहर झाड़ू लगाने से बेइज्जती हो जाएगी इसलिए पाइप से ही कूड़े की सफाई होती है| सुबह के 10 बजे जब धूप तेज हो जाती है घर या दुआं के बाहर दरों पानी डालने का क्या अर्थ हो सकता है वो तो 10 मिनट से अधिक रुक ही नहीं सकता| आवास विकास जहाँ दिन में दो बार पानी की आपूर्ति टंकी के माध्यम से होती है और घर में बोरिंग की आवश्यकता नहीं है वहां भी एक दूसरे को देख कर लोग सबमर्सिबल लगवा रहे हैं और अन्धाधुंध बेरहमी से पानी बरबाद कर रहे हैं|
Tuesday 2 June 2015
Author: Gaurav Tripathi
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